विज्ञान के इतिहास से यह कहानी है ऐसी किताब की जिसमें हर बीमारी का इलाज है हर दवा को बनाने का राज है ब्रह्मांड के सारे सवालों के जवाब हैं यह है वनज मैनु स्क्रिप्ट किसने लिखी है यह किताब क्यों लिखी है यह किताब किस भाषा में लिखी गई है यह किताब और क्यों इसके कोड को दुनिया के सबसे शक्तिशाली कंप्यूटर्स भी तोड़ नहीं पाए 1912 फ्रस काती इटली में एक पॉलिश अमेरिकन बुक सेलर वेल्फ वोयनिच जेशड कॉलेज में किताब किब खरीदने जाते हैं विलफ्रेड वनिज ये आदमी रेयर किताबों को खरीदने और बेचने का काम करता था उस समय जशु एट कॉलेज को पैसे की बहुत जरूरत थी तो वो विलफ्रेड वनिज को अपने यहां से कुछ किताबें बेचने का मन बनाते हैं जब वनिज किताबों को छाट रहे थे तो उनकी नजर एक बिना कवर की भद्दी सी किताब पर पड़ती है जिसको बकरे के चमड़े से सीला हुआ था जब वोयनिच उस किताब को खोलते हैं तो उस किताब के अंदर सोलर सिस्टम से जुड़ी हुई ड्राइंग्स एस्ट्रोलॉजिकल इवेंट्स हाइब्रिड प्लांट्स ऐसे पेड़-पौधे जिनके ऊपर फलों के रूप में मानव शरीर के अंग लटक रहे थे और ऐसी-ऐसी चीजें दर्शाई गई थी जिनका वास्तविकता से कोई भी लेना देना नहीं था और यह किताब किस भाषा में लिखी थी यह भी समझ में नहीं आ रहा था और यह बात मायने रखती है क्योंकि वॉनेज पांच भाषाएं लिख सकते थे और 15 भाषाएं समझ सकते थे क्योंकि यह आदमी रशिया के अच्छे घराने में पैदा हुआ था दुनिया की टॉप तीन यूनिवर्सिटीज से पढ़ा था साइबेरिया की जेल में बंद रहा था और जेल तोड़कर लंदन भाग गया था ये कोई मामूली आदमी नहीं था और क्योंकि इस अजीबोगरीब किताब को खोजने का श्रेय इस आदमी को जाता है इसीलिए इस किताब का नाम इस आदमी के नाम पर पड़ा यानी वॉनेज मैनु स्क्रिप्ट अब वॉनेज ने इस किताब के कोड को तोड़ने के लिए अपनी पूरी जिंदगी लगा दी क्योंकि वॉनेज को ऐसा लगता था कि यह किताब मानव इतिहास की सबसे बेशकीमती चीज है वॉनेज पूरी दुनिया में घूम-घूम कर एक्सपर्ट कोड ब्रेकर से जाकर मिलने लगे लेकिन कोई भी इस किताब के कोड को नहीं तोड़ पाया अपनी रिसर्च के आधार पर वॉनेज इस नतीजे पर पहुंचे कि शायद यह किताब रॉजर बेकन ने लिखी हो रॉजर बेकन आज के समय साइंटिफिक कम्युनिटी में इतिहास में सबसे ज्यादा रिस्पेक्टेड केमिस्ट में से एक है यही है वो जि इन्होंने यूरोप को पहली बार गन पाउडर का फार्मूला दिया था लेकिन इनका भी जीवन परेशानियों से भरा पड़ा था अब क्योंकि जिस जमाने में ये साइंस की प्रैक्टिस कर रहे थे उस जमाने में साइंस की प्रैक्टिस को चर्च के रूल्स के खिलाफ माना जाता था तो ये बहुत सारे लोगों की आंख का कांटा बने हुए थे अब रोजर बेकन की इन साइंटिफिक हरकतों को देखते हुए उन्हें जेल में डाल दिया जाता है लेकिन क्योंकि चर्च में कुछ लोग रॉजर बेकन के फेवर में थे तो इन्हें जेल में ही अपने एक्सपेरिमेंट कंडक्ट करने के लिए सुविधाएं मुहैया कराई जाती हैं और ऐसा माना जाता है कि रॉजर बेकन ने जेल के अंदर ही सीक्रेट कोड के रूप में अपनी इस किताब को लिखा था ये एक साइंटिफिक थ्योरी है इसे अभी तक प्रूव नहीं किया गया है अब यह बात तो बिल्कुल सही है कि वॉनेज इस बुक से जुड़ा हुआ कोड नहीं तोड़ पाए थे लेकिन उनके हाथ एक लेटर लगा था जो कि 1665 में एक फेमस डॉक्टर जान मेरिक मर्ची ने लिखा था जिसमें ये मेंशन था कि उनके पास एक सीक्रेट बुक है जो कि कोडेड भाषा में लिखी है और वो इसके कोड को तोड़ने के लिए इसे अपने एक दोस्त एथन सयस क्रीचर को दे रहे हैं मार्च अपने लेटर में यह भी बताते हैं कि यह किताब एक जर्मन राजा के पास थी थी जिन्होंने एक भारी भरकम कीमत देकर इस किताब को खरीदा था और कमाल की बात यह थी कि इस लेटर में रॉजर बेकन को एज अ ऑथर मेंशन किया गया था अब वॉनेज के दिमाग में एक सवाल आता है कि आखिर कैसे यह किताब बेकन से जर्मन राजा तक पहुंची तो वॉनेज के हिसाब से इस किताब को बेकन से राजा तक पहुंचाने के लिए डॉ डी ने अपनी भूमिका निभाई थी डॉ डी ये क्वीन एलिजाबेथ द फर्स्ट के कोर्ट के मेंबर थे एक साइंटिस्ट थे और बहुत यंग एज से इनकी पहुंच रॉजर बेकन के द्वारा लिखी गई किताबों तक थी अब डॉर डी ने भी इस किताब को डिकोड करने की बहुत कोशिश करी लेकिन वो फेल हो गए और उसके बाद डॉक्टर डी ने इस किताब को एक जर्मन राजा को बेच दिया अब इस किताब के अंदर लिखे हुए राज तभी खुल सकते थे अगर कोई इस किताब को डिकोड कर पाए और इसे डिकोड करने के लिए सबसे पहला काम जो करना था वो यह पता करना था कि आखिर यह किताब लिखी किसने है और लिखी क्यों है और किस भाषा में लिखी है और क्या उसने इन कोड को तोड़ने का कोई तरीका भी लिखा है इसी चीज की खोज में ये किताब एक जगह से दूसरी जगह भटक रही थी अब इस किताब के कोड को तोड़ने के लिए और लोगों ने भी अपने हाथ साफ किए थे जिनमें से एक थे विलियम फ्रीडमैन जिन्होंने वर्ल्ड वॉर 2 के दौरान जैपनीज कोड पर्पल को तोड़ा था इन्होंने अपने 30 साल लगा दिए हां जी 30 साल लगा दिए इस किताब के कोड को तोड़ने में और फाइनली इन्होंने यह कहा कि इसके कोड को तोड़ा नहीं जा सका अब 1930 में वॉनेज का देहांत हो जाता है और यह किताब उनकी पत्नी के पास चली जाती है और 30 साल बाद उनकी पत्नी की मृत्यु के बाद यह किताब ये लाइब्रेरी में चली जाती है जहां आज भी यह किताब ऐसी की ऐसी ही रखी है अब जैसे ही इंटरनेट का चलन बढ़ा ये लाइब्रेरी ने इस किताब के पेजों को स्कैन करके इंटरनेट पर पब्लिश करना शुरू कर दिया और इस किताब के चर्चे पूरी दुनिया में आग की तरह फैल गए करोड़ों लोग इस किताब के कोड को तोड़ने की कोशिश करने लगे और फिर 2009 में यूनिवर्सिटी ऑफ एरिजोना से एक जबरदस्त खबर आई अब वैज्ञानिकों ने यह डिसाइड करा कि वो इस किताब की रेडियो कार्बन डेटिंग करेंगे और पता लगाएंगे कि आखिर यह किताब कितनी पुरानी है और यह किस जमाने की है और उसके हिसाब से अंदाजा लगाया जाएगा कि उस जमाने में कौन-कौन ऐसे लोग थे जो इस तरह की साइंटिफिक रिसर्च कर रहे थे ताकि इस चीज के पास पहुंचा जा सके कि आखिर इस किताब को किसने लिखा होगा अब रेडियो कार्बन डेटिंग के जो रिजल्ट आए उन्होंने सबको चौका दिया क्योंकि यह किताब 13वीं शताब्दी की थी ही नहीं बल्कि ये किताब 15वीं शताब्दी की निकली यानी ये किताब रॉजर बेकन के द्वारा नहीं लिखी गई थी इसका मतलब यह हुआ कि जितनी भी थ्योरी रोजर बेकन को लेकर बनाई गई सब पर विराम लग गया और घूम फिर करर सभी लोग वहीं आ गए कि आखिर इस किताब को लिखा किसने है लेकिन ये एक अच्छी खबर थी क्योंकि अब वैज्ञानिकों को पहला जवाब मिल गया था कि ये किताब 15वीं शताब्दी में लिखी गई है तो अब इस किताब पर रिसर्च तेज हो गई अब वैज्ञानिकों का शक घूम कर जाता है महान वैज्ञानिक लियोनार्डो द विंची की तरफ क्या यह किताब लियोनार्डो द विंची ने तो नहीं लिखी थी एक इंडिपेंडेंट रिसर्चर डॉक्टर शेरवुड ने ये दावा किया कि ये किताब किसी और ने नहीं बल्कि लियोनार्डो द विंची ने ही लिखी है क्योंकि जिस समय की ये किताब है उस समय लियोनार्डो दविंची से बड़ा वैज्ञानिक कोई था ही नहीं आप अगर चाहे तो इंटरनेट पर जाकर एडिथ शेरवुड के द्वारा वनज मैनु स्क्रिप्ट पर लिखा गया रिसर्च पेपर पढ़ सकते हैं इस रिसर्च पेपर में उन्होंने यह एविडेंस दिखा दिखाए हैं कि क्यों उन्होंने इस किताब को लियोनार्डो द विंची से जोड़ा था अब जिस जमाने की ये किताब थी उस जमाने में बिना किसी इंस्ट्रूमेंट के परफेक्ट सर्कल बहुत कम लोग बना सकते थे जिनमें से लियोनार्डो द विंची एक थे इस किताब के एक पेज पर ऐसा ही एक सर्कल बना हुआ था जिसमें कुछ औरतें बर्थिंग टब के अंदर बैठी थी ये सारी औरतें प्रेग्नेंट थी लेकिन एक औरत प्रेग्नेंट नहीं थी बल्कि उसके हाथ में एक बच्चा था और इस औरत के हाथ में एक सितारा भी था डॉक्टर शेरवुड के हिसाब से ये एक बर्थ रिकॉर्ड था इस कागज पर एरीज की फोटो अप्रैल महीने को दर्शा रही थी और जिस औरत के हाथ में बच्चा था वो एगजैक्टली हमारी घड़ियों के हिसाब से 10 बजे वाली पोजीशन पर बैठी थी यानी उस औरत की पोजीशन ठीक बिल्कुल वही थी जो घड़ी में 10 बजे सुईं की होती है और कमाल की बात यह है कि लियोनार्डो दविंची 15 अप्रैल को 10 बजे के आसपास ही पैदा हुए थे अब क्या ये कोइंसिडेंस है इस दावे को सपोर्ट करने वाली एक और बात थी लियोनार्डो द विंची अपनी सारी किताबें कोड भाषा में लिखते थे और ये किताब भी एक ऐसी कोडेड लैंग्वेज में लिखी थी जिसको तोड़ना असंभव था अब 2016 में कैनेडियन यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर ग्रेग कंडक्ट की गाइडेंस में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की मदद से वने मैनु स्क्रिप्ट के कोड को तोड़ने की कोशिश की गई अब इस रिसर्च का मकसद एक ऐसा कंप्यूटर बनाना था जिसे मानव इतिहास में लिखी गई कोई भी चीज अगर दी जाए तो वो उसको पढ़ भी पाएगा और उसका अर्थ भी बता पाएगा प्रोफेसर कनरेक्स में कई स मैनु स्क्रिप्ट से लैंग्वेज को उठाकर कंप्यूटर में डाल दिया ताकि कंप्यूटर इस डाटाबेस से वच मैनु स्क्रिप्ट की भाषा को कंपेयर करके उस का कोई अर्थ निकाल सके और क्योंकि यह कंप्यूटर मानव दिमाग से यह काम बहुत तेजी से कर सकता है तो यहां से वैज्ञानिकों को एक उम्मीद जगी कि शायद अब इस किताब के कोड को तोड़ा जा सकता है और आखिर फिर वो दिन आ ही गया जब कंप्यूटर ने कई हफ्तों की कैलकुलेशन करने के बाद हां जी कंप्यूटर को कई हफ्ते लगे इस रिजल्ट को देने में फाइनली कंप्यूटर ने आंसर दिया और कंप्यूटर ने यह कहा कि ये किताब हिब्रू में लिखी गई थी और यह किताब हिब्रू में लिखी ही नहीं गई थी बल्कि ये एक अल्फाग्राफिक्स जंबल वर्ड्स की फॉर्म में लिखते हैं जैसे कैट को अगर एक्ट लिखा जाए लेकिन कमाल की बात यह है कि एक्ट का भी एक अल्फाग्राफिक्स बत थी मान लेते हैं कि आपने एक वर्ड का अर्थ निकाला अब आपने दूसरे वर्ड का अर्थ निकाला अब अगर ये दोनों वर्ड एक साथ फिट नहीं बैठ रहे तो आपको ये फिगर आउट करना पड़ेगा कि पहला वर्ड सही था या दूसरा वर्ड सही है अगर पहला वर्ड सही है तो दूसरे को दोबारा फिगर आउट करो और अगर दूसरा सही है तो पहले को दोबारा फिगर आउट करो और इस तरीके से अब तक आपने जितने भी वर्ड फिगर आउट किए हैं उन सारे वर्ड्स को दोबारा मैच करो और अगर उनमें से एक भी वर्ड गड़बड़ा जाता है तो पूरे सीक्वेंस को दोबारा करो अब यह सारी जानकारी देने के बाद कंप्यूटर ने अपने हाथ खड़े कर दिए कि भैया मेरे बस की नहीं है
इस किताब को डिकोड करना किसी और को ढूंढो अब 2017 में एक जर्मन इजिप्शियन इथोलॉजिस्ट ने 3 साल इस किताब पर रिसर्च करी और 2020 में अपना रिसर्च पेपर पब्लिश किया और उन्होंने इस किताब के बहुत सारे पैराग्राफ्स को डिकोड कर लिया और उनके हिसाब से ये किताब एक प्रोफेसी बताने वाली किताब थी प्रोफेसी का अर्थ होता है भविष्य में क्या होने वाला है यानी कि यह किताब भविष्य में होने वाली घटनाओं के बारे में जानकारी दे रही थी ऐसा उनका मानना था अब कुछ रिसर्चस का यह भी मानना है क्या पता यह किताब कोडेड भाषा में लिखी ही ना गई हो क्या पता कि इस किताब को लेकर अब तक हमारी अप्रोच ही गलत हो क्या पता जिस भाषा में यह किताब लिखी गई है वो एक भाषा ही हो एक ऐसी भाषा जो इंसान बोलते ही ना हो अब इस बात के पीछे एक स्ट्रांग एविडेंस था और वो एविडेंस था जोडियक कोड अब मैं जोडियक कोड की डिटेल में नहीं जाऊंगा अगर आपको उ के बारे में जानना है तो आप google3 नहीं था पूरी किताब में कहीं भी कोई कटिंग नहीं थी और यह नामुमकिन है अब एक नई थ्योरी का जन्म हुआ कि ये किताब एलियन बुक थी और दोबारा सामने आते हैं एरिक वन डेनिक अगर आपने पिछली वीडियो देखी है जिसमें मैंने एंटी कथरा के बारे में बताया था एक ऐसा टाइम ट्रैवलिंग डिवाइस जिसको कोई भी डिकोड नहीं कर पाया उसे भी वन डेनिक ने अपनी किताब रियट्स ऑफ गॉड में एक एलियन डिवाइस बताया था और इस किताब को भी वन डेनिक ने एक एलियन बुक बताया है क्योंकि वन डेनिक ये कहते हैं कि बहुत सारी चीज धरती पर ऐसी है जिसे इंसान नहीं बना सकते जैसे ये स्टोन हिंज एक और सबूत जो वन डेनिक के दावों को सपोर्ट करता है वो था पेरी रीस मैप जिसमें हमारी धरती को इस तरीके से दिखाया गया है जैसे वो स्पेस से देखने पर नजर आएगी जो कि असंभव था क्योंकि 1513 में धरती को स्पेस से कैसे देखा जा सकता था अगर आपको इतिहास को चैलेंज करने वाली वन डेनिक की किताबें पढ़नी है तो आप हिस्ट्री इज रंग पढ़ सकते हैं लाजवाब किताब है सन 2006 में दो ब्रिटिश राइटर्स गैरी केनेडी और रॉब चर्चिल ने इस किताब को मिस्टीरियस चीजों के साथ जोड़ दिया उन्होंने अपनी किताब वच मैनु स्क्रिप्ट में ये दावा किया है कि ये किताब किसी के द्वारा इंसानी दिमाग को काबू करके लिखवाई गई है और इस बात को साबित करने के लिए उन्होंने अपनी किताब के अंदर बहुत सारे सबूत सबूत भी दिए हैं अब अगर उन सबूतों को ध्यान से देखा जाए तो उनके पास यह बात कहने के स्ट्रांग एविडेंसेस हैं इस वीडियो में मैं उनके द्वारा बताए गए फैक्ट्स और दिखाए गए सबूतों के बारे में नहीं बताऊंगा क्योंकि वो थोड़े डिस्टर्बिग हैं पर मैं आपको एक आईडिया दे देता हूं आपने कहीं ना कहीं सुना या देखा होगा कि कुछ लोगों का शरीर उनके काबू में नहीं है या वो क्या कर रहे हैं इसकी जानकारी उन्हें नहीं होती जिसे हमारे यहां देसी भाषा में कहते हैं कि इसके सर पर भूत सवार हो गया तो कुछ-कुछ इससे जुड़ी हुई चीजें ही उन्होंने अपने दावों में बताई हैं इन्होंने अपनी किताब में हिल्डे गार्ड वन बेनन का जिक्र किया है अब इतिहास में इस महिला को 12वीं शताब्दी के संत के रूप में दिखाया गया है जिसने हजारों पन्नों पर इसी तरह की समझ में ना आने वाली भाषा और मिलती-जुलती ड्राइंग्स के ऊपर अच्छा खासा रिटन मटेरियल तैयार किया था इस महिला के अनुसार जो भी चीजें इन्हें अपने सपने में दिखती थी वो इसे किताब के रूप में उतार देती थी और इनके द्वारा लिखी गई चीजें वोयनिच मैनु स्क्रिप्ट से मेल खा रही थी और जैसा कि आप जानते हो कि क्रिश्चियनिटी में एग्जॉर्च ज्म पे यकीन किया जाता है अब यहां पर एक चीज बतानी जरूरी है ऐसा नहीं है कि सभी लोग इस किताब पर यकीन करते थे कुछ ऐसे भी थे जो यह मानते थे कि किसी पागल ने इस किताब को बस ऐसे ही लिख दिया है जिसका कोई सेंस नहीं है क्योंकि सन 2006 में एक ऑस्ट्रियन रिसर्चर ने इस किताब के ऊपर एक कंप्यूटर एनालिसिस किया और उनके कंप्यूटर एनालिसिस में यह बात निकलकर सामने आई कि इस किताब में एंडलेस मीनिंग्स कोड लिखे हुए हैं जिनका कुछ भी मतलब नहीं है और यह इस किताब की सबसे आसान एक्सप्लेनेशन थी कि इसे देख के आंख बंद कर लो कि ये कुछ है ही नहीं लेकिन ऐसा नहीं है कि इस किताब में कुछ भी ऐसा नहीं था जो समझ में ना आ रहा हो इसमें बहुत सारी चीजें ऐसी थी जिनकी पिक्चर से यह रिलेट किया जा सकता है कि ये किताब वाकई में ही कुछ और थी यानी कुछ ऐसा जिसे समझने के लिए अभी हम तैयार ही नहीं थे इसके बाद एक और थ्योरी का जन्म हुआ और वो यह कि यह किताब विल्फ्रेड वोयनिच ने ही लिखी थी अब वैसे इस पर यकीन करना मुश्किल है क्योंकि रेडियो कार्बन डेटिंग से यह पता लगा था कि ये किताब 15वीं शताब्दी के आसपास रही होगी तो रिसर्चस ने यह माना कि विल्फ्रेड वोयनिच ने 15वीं शताब्दी की बकरों की खाल कहीं से इकट्ठा करी और इस किताब का का निर्माण किया ताकि वो इसे बेचकर दुनिया भर का पैसा कमा सके लेकिन क्योंकि यह किताब किसी को भी समझ में नहीं आ रही थी तो इसके खरीदार भी उन्हें नहीं मिले और इस दावे को सपोर्ट करने के लिए उन्होंने यह कहा कि विलफ्रेड वोयनिच से पहले इस किताब का कहीं पर कोई जिक्र नहीं है यानी इस किताब को पॉपुलर इज किया था विल्फ्रेड वोयनिच ने और वो इसे रॉजर बेकन के नाम पर बेचकर बहुत सारा पैसा कमाना चाहते थे अब कुछ रिसर्चस का यह भी मानना है कि विलफ्रेड वोयनिच को वो लेटर मिला था और उस लेटर को आधार बनाकर उन्होंने इस किताब का निर्माण किया पर इस थ्योरी को भी चैलेंज करने वाली एक चीज सामने आ गई इस बुक में जिस इंक का इस्तेमाल किया गया था वो इंक भी 15वीं शताब्दी की थी अब ये कैसे हो सकता है क्या नेच ने टाइम ट्रेवल करके ये किताब लिखी थी लेकिन इसकी भी एक एक्सप्लेनेशन दी गई है रिसर्चस ने ये कहा कि हो सकता है कि ये किताब नेच ने ना लिखी हो लेकिन उनके पास इस तरह के डॉक्यूमेंट हो जिसको असेंबल करके ये किताब बनाई गई हो क्योंकि जैसा कि सब जानते थे विलफ्रेड वॉनेज पुरानी किताबों के बहुत बड़े डीलर थे तो जरूर उनके पास कुछ ऐसा होगा जिसको असेंबल करके के उन्होंने यह किताब बनाई होगी पर अगर उन्होंने ये किताब बनाई भी है तो भी ये लिखी किसने है इस किताब पर लगातार टेस्ट किए गए हैं बार-बार टेस्ट किए गए हैं जिनमें सबसे ज्यादा एडवांस टेक्नीक का इस्तेमाल किया गया है जो उस जमाने में थी ही नहीं जिस जमाने की ये किताब है तो क्या इस बात पर यकीन किया जा सकता है कि ये किताब फेक है वेल मेरी पर्सनल राय में जितना मैंने इसके बारे में पढ़ा है मुझे ये फेक नहीं लगी इस किताब को ग्रेटेस्ट कोड ऑफ ऑल टाइम कहा जाता है जो जिस दिन खुलेगा उस दिन यूनिवर्स का सबसे गहरा राज भी खोल देगा अगली वीडियो फिर से चलेंगे विज्ञान के इतिहास से जुड़े हुए एक नए सफर पर तो मिलते हैं नेक्स्ट वीडियो में जय हिंद जय भारत
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